पशुओं में भी जान है, इनसे भी जहान हैं!
पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक जीव ईश्वर की रचना है। फिर चाहे वह पेड़-पौधे, पक्षी हो या जानवर। लेकिन इस पृथ्वी पर ईश्वर ने इंसान को बनाकर सबसे सुंदर रचना की है। भगवान ने ईश्वर को सर्वश्रेष्ठ बनाया है, ताकि वह ईश्वर के द्वारा की गई रचना पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों आदि की संभाल कर सके।

लेकिन इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में इंसान इतना व्यस्त है कि वह ईश्वर की दी हुई नियामत पशुओं की ओर ध्यान नहीं दे पाते। प्रत्येक वर्ष ना जाने कितने पशु भूख व प्यास के कारण अपनी जान गवा देते हैं। ईश्वर ने इंसान को सर्वोत्तम शरीर दिया है। जो उसे 84 लाख योनियों को भोगने के बाद मिला है। हमें इसे अच्छे व नेक कार्य करके बिताना चाहिए। इसलिए पृथ्वी के हर इंसान का कर्तव्य बनता है कि वह बेसहारा, बेजुबान जानवरों के लिए पानी की व्यवस्था करें।
ईश्वर का अनमोल तोहफा है- पशु
इस पृथ्वी पर पशु ईश्वर का दिया हुआ अनमोल तोहफा है। जो इंसान के लिए हमेशा से ही मददगार रहा है। पशु जीते जी भी इंसान के काम आते हैं।

जैसे- हमें इनसे दूध मिलता है, जिसके द्वारा विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं। इसके साथ ही इनका मल मूत्र भी काम आता है। आपको बता दे ईश्वर की दी हुई यह अनमोल दात जीते जी तो इंसान के काम आती है। इसके साथ ही यह पशु मरने के बाद भी इंसान के काम आते हैं। इनकी हड्डियाँ व चमड़े से विभिन्न प्रकार के समान बनाए जाते हैं।
पुरातन से हमारी संस्कृति रही है- पशु पर चारा डालना
हमारी भारतीय संस्कृति समस्त संसार में सर्वश्रेष्ठ है। पुराने समय से ही हमारे बड़े बुजुर्ग अपने खाने का पहला निवाला निकालते थे और उस खाने को अपने पास पास घूम रहे जानवरों को दे देते थे। जिससे उन जानवरों की भूख मिटती थी और ईश्वर भी खुश होते थे। लेकिन आज समय के बदलाव के साथ-साथ लोग अपनी सभ्यता को भी भूल रहे हैं। परंतु आज समय है, अपने Indian Culture कल्चर को अपनाने का। हमें पशुओं पर रोजाना चारा डालना चाहिए व उनकी संभाल करनी चाहिए।
बच्चों में डाले पशुओं पर चारा डालने की आदत
बच्चे छोटे पौधे की तरह कोमल होते हैं। उनको जैसा आकार दिया जाता है, वैसा ही वह बन जाते हैं। अर्थात हम छोटे बच्चों को जैसे संस्कार देंगे, वह उन्हें अपने जीवन में अपनाएंगे। इसलिए हमें बचपन से ही बच्चों में इंसानियत की दया भावना डालनी चाहिए। बचपन से ही बच्चों में पशुओं को चारा व पानी रखने की आदत सिखानी चाहिए।
पशुओं के लिए खाद्य सामग्री-
पशुओं को संतुलित आहार ही दिया जाना चाहिए।
जैसे-
चोकर
खल
चूनी
अनाज के दाने
हरा चारा
गुड़ आदि।
नोट- पशुओं को गुड़ सर्दियों के मौसम में ही दिया जाना चाहिए।
वह संस्था जिसने इन बेजुबान पशुओं के बारे में सोचा-

जानवर जीवमंडल का अभिन्न अंग है। आए दिन हम देखते हैं कि आवारा पशुओं को खाने-पीने आदि के लिए कितनी ही मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। इन बेजुबानो के लिए मसीहा बनकर आई यह संस्था डेरा सच्चा सौदा व इसके प्रमुख संत डॉक्टर गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां। जिनके द्वारा चलाए गए 134 मानवता भलाई कार्य में से इन बेजुबान के लिए भी Initiative शुरू किए गए हैं।
इस संस्था द्वारा उठाए गए बेजुबनो के लिए सराहनीय कदम
आवारा पशुओं के रहने व चारा पानी की व्यवस्था करना-
पूज्य गुरु संत डॉक्टर गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन प्रेरणा पर चलते हुए डेरा सच्चा सौदा के लाखों अनुयायी सड़क पर घूम रहे आवारा पशुओं के लिए आश्रय व चारा-पानी की व्यवस्था करते हैं। इसके लिए इन अनुयायीयों द्वारा सरकारी व पंचायती जगहो पर इन आवारा पशुओं के रहने की व्यवस्था की गई हैं।
आवारा पशुओं के लिए चिकित्सा सुविधा प्रदान करना-

आज के समय में जहां लोग जरुरत पड़ने पर अपने सगे संबधि के काम नहीं आते वही डेरा सच्चा सौदा के लाखों अनुयायी बेजुबान पशुओ के लिए मसीहा बनकर आते हैं। ये डेरा अनुयायी अपने गुरु जी की पावन शिक्षाओ से सड़क पर घायल व ज़ख्मी आवारा पशुओं को चिकित्सक सुविधाएं प्रदान करते हैं। अगर दुर्घटना ग्रस्त इन जानवरों की मौत हो जाती हैं तो ये अनुयायी इन जानवरों को सड़क से हटाकर इन्हें दफनाते भी है। जिस से बीमारियां फैलने का खतरा कम रहता है।
जानवरों की सुरक्षा के लिए बूचड़खानो को बंद करना-
हमारे हिंदू धर्म में गाय माता की पूजा की जाती है। लेकिन समाज में लोग अपने जीभा के सवाद के लिए पशुओं की हत्या कर उनका मांस खाते है। लेकिन यह महापाप है। डेरा सच्चा सौदा द्वारा जानवरों की सुरक्षा के लिए बूच्चड़खानो को बंद करने के प्रयास किए हैं।
किसानों को Agriculture Waste ना जलाने और पशुओं के लिए चारे के रूप में इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करना-
पूज्य गुरु संत डॉ गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने किसानों को पराली ना जलाने और पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया है। ऐसा करना जानवरों के लिए उपयोगी होगा और पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाएगा।
आवारा पशुओं के चलते नहीं होंगे हादसे-

पशु इंसान के लिए हमेशा से ही मददगार रहे हैं। लेकिन इनकी सही देखभाल न होने के चलते वे सड़क पर भटकने के लिए मजबूर होते हैं और रात के समय हादसे होने की वजह बनते हैं। ऐसे में डेरा सच्चा सौदा संस्था ने पशुओं के कारण हो रही दुर्घटनाओं को रोकने के लिए एक नई मुहिम अपनाई है। जिसमें पशुओं के गले व सींग पर लाल व पीले कलर के Reflector belt लगाए गए हैं। जिस से अगर कोई वाहन उनके पास आए तो उन्हें आभास हो जाए। इस मुहिम के शुरु होने से सड़क हादसो में कमी आई हैं।
प्रेरणास्त्रोत-
पूज्य गुरु संत डॉक्टर गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की प्रेरणा से आज लाखों लोग जानवरों की भलाई के लिए आगे आ रहे हैं और उनकी मदद कर रहे हैं। जैसे- हरे चारे का प्रबंध करना, रिफ्लेक्टर लगाना, जख्मी जानवरों का इलाज करना।
गुरु जी की कथनी और करनी में कोई फर्क नहीं है…। वह केवल दूसरों को ही प्रेरित नहीं करते बल्कि स्वयं भी बेजुबान जानवरों की भलाई के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।
निष्कर्ष-
हम सभी को Animal Nurturing करनी चाहिए। हमारा एक कदम बेजुबान, बेसहारा पशुओं की जान बचा सकता है। इन बेजुबान, बेसहारा पशुओ के लिए चारा व पानी उपलब्ध करवाने से हम उनकी आत्मा से निकली दुआओं और ईश्वर की रहमतों को हासिल करने के काबिल बन सकते है।

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