Guru Maa Diwas-Epitome of Sacrifice
माँ एक ऐसा शब्द है जिसे बोलते और सुनते ही हृदय खुशी से भर जाता है। प्रेम और स्नेह की मिसाल है माँ, माँ भगवान की तरफ से दी गई एक ऐसी नियामत है, जिस की छत्रछाया नीचे इंसान हर गम भूल जाता है। माँ का साया ठंडी छाया की तरह है। दुनिया में माँ का रुतबा सर्वश्रेष्ठ माना गया है। उस मां का दर्जा सर्वश्रेष्ठ हो जाता है, जिस की संतान समाज में बुलंदियों को हासिल कर लेती है। अगर बात ऐसी माँ की जाए जिसकी पावन कोख से संत, महापुरूष ने जन्म लिया हो तो ऐसी गुरु माँ की महिमा को ब्यान करना तो गागर में सागर भरना है। तो आइए आपको बताते है अति पूजनीय गुरु माँ माता नसीब कौर जी’ इन्सां के बारे में जिसे पूजनीय संत डॉ गुरमीत राम रहीम सिंह जी इंसा की माँ होने का सुभाग्य प्राप्त हुआ।
जीवन परिचय-
परम पूजनीय माता नसीब कौर जी इन्सां का जन्म 9 अगस्त 1934 को पूजनीय पिता सरदार गुरदित्त सिंह व पूजनीय माता जसमेल कौर जी इंसा के घर गांव किकरखेडा़, तहसील अबोहर, ज़िला फाजिल्का पंजाब में हुआ। लेकिन सतगुरु ने जिस माँ की कोख से जन्म लिया हो उस की उपमा किन शब्दों में की जाए दुनिया की सभी भाषाओं के शब्द उनके लिए छोटे पड़ जाते हैं। सारी सृष्टि पूजनीय बापू नंबरदार मग्घर सिंह जी और पूजनीय माता नसीब कौर जी इन्सां के हमेशा हमेशा के लिए ऋणी रहेंगे, जिन्होंने अपनी पावन कोख से सतगुरु प्यारे को जन्म दिया।
विवाह व बच्चे-
पूजनीय माता नसीब कौर जी का विवाह श्री गुरुसर मोड़िया में बहुत ही खुशहाल परिवार में पूजनीय बापू मग्घर सिंह जी के साथ हुआ। घर में किसी वस्तु की कोई कमी नहीं थी। परन्तु 17–18 वर्ष के बाद भी आप जी के घर कोई संतान की प्राप्ति नहीं हुई। संतान प्राप्ति की इच्छा आपको हमेशा सताती रहती। आप जी बचपन से ही धार्मिक विचारों के मालिक व प्रभु भक्ति में मस्त दीन- दुखियों की सेवा में लगे रहते। गांव के संत त्रिवेणी दास जी ने पूजनीय बापू मग्घर सिंह जी से कहा कि आपके घर कोई साधारण संतान जन्म नहीं लेगी, आपके घर खुद ईश्वर अवतार लेंगे और वह आपके पास 23 वर्ष तक ही रहेंगे।
संतान की प्राप्ति-
18 वर्ष बीत जाने के बाद पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज की दया, मेहर से आप जी के घर 15 अगस्त 1967 को पूजनीय हजूर संत डॉ गुरमीत राम सिंह जी ने अवतार धारण किया। गुरु जी के जन्म के बाद घर, पूरे गांव और सारी सृष्टि में खुशियां ही खुशियां छा गई।
बहार झूम कर आई, कली-कली मुस्कराई, दातार जी आए, तेरे है अंगना दाता जन्नी हो तुम, बधाई हो बधाई।
नाम की अनमोल दात-
पूजनीय माता जी ने परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज से नाम की अनमोल दात प्राप्त की। नियमित रूप से प्रभु भक्ति और आध्यात्मिकता गुरु माता जी का पसंदीदा विषय बन गया। माता जी घर के सभी काम बहुत ही लग्न से करते।
अनमोल यादें-
बाल्यावस्था में गुरु जी के साथ गुरु माता भी बिल्कुल बच्चे ही बन जाते। अठखेलियां करते हुए बाल रूप में पूजनीय हजूर पिता जी के पीछे-पीछे पूरे घर में माता जी दौड़ते रहते। गुरु माँ और बेटा दोनों बाल-दोस्तों की तरह बहुत से खेल- खेलते और एक दूसरे के पीछे दौड़ते जिसे देखकर आस-पड़ोस के लोग आश्चर्य से बापूजी से पूछते, क्या आप के घर 4–5 बच्चे हैं।
पूजनीय माता जी की ओर से तैयार किए गए सरसों के साग और निकाले गए मक्खन की तुलना नहीं की जा सकती। माता जी द्वारा निकाले गए देसी घी को गुरु जी ढ़ेर सारा कच्चा ही खा जाते। जब माता जी मक्की की रोटी के ऊपर सरसों का साग और मक्खन रखकर खाते तो रोटी खाते-खाते जो ‘बीच का हिस्सा’ रह जाता उसमें घी रच जाने से वह बहुत ही नर्म व स्वादिष्ट बन जाता, तो पूजनीय हजूर पिता जी माता जी को बातों में लगाकर रोटी का वह हिस्सा छीन कर भाग जाते और फिर शुरू हो जाता बाल-लीला का सिलसिला। गुरु जी माता जी को रोटी दिखा-दिखा कर खाते और माता जी पीछे-पीछे भागते।
महान शख्सियत-
बचपन से ही माता जी प्रभु भक्ति से लबरेज व दीनता व नम्रता के पुंज थे। पूजनीय माता जी दीन-दुखियों, इंसानियत की सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहते। माता जी की जिंदगी रूपी किताब का जो भी पन्ना खोला जाए वह इनके ज्ञान, संजम, दीनता, नम्रता,
काबिलियत, आध्यात्मिक व इंसानियत की सेवा जैसे गुणों से भरा हुआ मिलता है। अपने गुरु परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज के प्रति माता जी का अटूट विश्वास व सच्चा गुरु प्रेम बेमिसाल है। अपने गुरु जी के वचन मानना माता जी की जिंदगी का अह्म हिस्सा है। गुरु के हुक्म को मानने की बड़ी मिसाल और क्या होगी कि माता जी ने अपने गुरु के एक इशारे पर अपने 23 वर्ष के इकलौते प्यारे पुत्र को पूरी जिंदगी ही सृष्टि सेवा के लिए अर्पित कर दिया। सभी का ध्यान रखना माता जी की फितरत में शामिल है। पूजनीय माता जी का व्यवहार हमेशा से ही सच्चा और प्रेम से लबरेज है।
सृष्टि सेवा के लिए पुत्र को अर्पित करना-
23 वर्ष की निश्चित अवधि से माता जी अनजान थे। पूज्यनीय बापू जी ने इस रहस्य को अपने दिल में छुपाए रखा, ताकि कहीं ममता का ये आंचल टूट ना जाए। घर में पोते पोतिया की किलकारियां भी गूंजी। जिंदगी मजे में थी। पूजनीय बापू जी के घर सब कुछ था। सुख सुविधा, संतान पोते पोतियां। संत त्रिवेणी दास जी के कहे शब्दों को काफी समय बीत चुका था। पोते पोतियो की खुशी ने पूजनीय बापू जी को 23 वर्ष का समय मानौ जैसे भुला दिया था, परंतु समय न रुका। 19 सितंबर 1990 को परम पिता शाह सतनाम सिंह जी ने श्री गुरुसर मोडिया परिवार को सिरसा बुलाया। बेपरवाह जी ने बापू जी से पूछा हम आप के बेटे को लेना चाहते है। बापू जी को अब छुपा सच्च प्रकट होता दिखाई दिया। जिस संतान की कमी ने 41 वर्ष पूर्व पूजनीय बापू जी को रुलाया था, अब वही वियोग उन्हें डसने लगा था। माता जी इस रहस्य से अनजान थे। कठिन फैसला! मां-बाप ने बिना वक्त लगाए कहा कि जी सारा आप का ही है। जो मर्जी है ले लो। पूजनीय हजूर पिता जी भी चुपचाप देखते रहे और अंत में पूज्य बापू जी और पूजनीय माता जी ने सौंप दिया अपने एकलौते लाल को डेरा सच्चा सौदा को, शाह सतनाम सिंह जी महाराज को और 23 सितंबर को पूजनीय हजूर पिता जी को पूजनीय परम पिता जी ने अपना उत्तराधिकारी बना लिया। त्याग व ममता की मूर्त पूजनीय माता नसीब कौर जी ने वह कर दिखाया, जो शायद ही कोई मां कर पाई हो। हजारों करोड़ों नमस्कार पूजनीय माता नसीब कौर जी को जिन्होंने समूचे विश्व के सच्चे मार्गदर्शक संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इंसा को साध संगत को सौंप दिया।
धन माँ नसीब कौर धन तेरा लाल माँ…
अति प्यारे बेटे की यादों को संजोए रखा वर्षों तक-
माता जी अपने लाडले से इतना स्नेह करते थे कि उन्होंने उनकी जन्म की, बचपन की छोटी-छोटी चीजें अभी संभाल कर रखी हुई है। जोकि रुहानी म्यूजियम की शोभा बढ़ा रही है।
पहली बार 2011 में माता जी का जन्मदिन मनाया गया-
संगत की पुरजोर मांग पर 2011 को पहली बार पूजनीय माता जी का जन्मदिन मनाया गया। पूजनीय मात नसीब कौर जी के 87 वें जन्म दिवस की समस्त सृष्टि को हार्दिक शुभकामनाएं।
आपके जन्मदिन पर हमारी यही दुआ
आपका स्नेह, आपका आशीर्वाद हमें मिलता रहे
प्यारे रहबर आपको दे, निरंतर खुशियां
आपका आंगन सुख आनंद से खिलता रहे।
मानवता भलाई करके मनाया गया पहला जन्म दिन-
संत डॉ गुरमीत राम रहीम सिंह जी द्वारा माता जी के जन्मदिन के शुभ अवसर पर 1 लाख 1 हजार का चैक शाह सतनाम सिंह जी ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स विंग के भलाई फंड में जमा करवाया गया और उसमें से जरूरतमंद लोगों को चैक वितरित किए गए।
प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी माता जी का जन्मदिन गुरु जी के मार्गदर्शन से देशों व विदेशों में मानवता भलाई के कार्य करके मनाया गया। धन्य, धन्य, धन्य पूजनीय माता नसीब कौर जी।
विश्व ममता की अनोखी मिसाल, गुरु- माता जी को लख-लख प्रणाम!