Foundation Month Of Dera Sacha Sauda

Blogging Tribe
6 min readMar 31, 2021

सच का मिलना और फिर सच के साथ चलना, दोनों ही अच्छे कर्मों का सिला है। पिछले जन्मों में जो संचित कर्म किए होते हैं वे मनुष्य के साथ रहते हैं, जिन्हें प्रारब्ध भी कहा जाता है और किए गए अच्छे नेक कर्मों की बदौलत ही मनुष्य को अपने इस जन्म में सच का साथ मिलने की सोहबत नसीब होती है। लेकिन सच क्या है? हम किस सच की चर्चा कर रहे हैं! यह सच एक संत है, उसका सत्संग है और जिसके बारे में वह समझाते हैं, वो परमात्मा, खुदा, राम, वाहेगुरु वो सच है और उसका पवित्र नाम सच है। इस पाक पवित्र सच के साथ जुड़ना मनुष्य के पहले किए गए कर्मों के मार्फत है या जिस पर संत महात्माओं की दया दृष्टि हो जाए वह अपने कर्म से मनुष्य को अपने इस सच के साथ जोड़ देते हैं। ऐसे महान सच के साथ जोड़ने के लिए बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने डेरा सच्चा सौदा की नींव रखी।

डेरा सच्चा सौदा की स्थापना-

पूज्य बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने डेरा सच्चा सौदा की स्थापना करके इंसानियत पर बहुत भारी परोपकार किया है। पूजनीय बेपरवाह मस्ताना जी महाराज अपने पूजनीय मुर्शीदे कामिल बाबा सावण शाह साईं जी के हुक्मानुसार हरियाणा के सिरसा जिले में पधारे और समय व परिस्थितियों के अनुरूप 29 अप्रैल 1948 को शहर के बाहर बेगू रोड (शाह सतनाम जी मार्ग) पर डेरा सच्चा सौदा की नींव रखी और लोगों को सच के बारे में बताया। आप जी ने दुनिया में सच को प्रकट करने, सच को बताने, सच से जोड़ने और सच को दिखाने के लिए डेरा सच्चा सौदा की नींव रखी।

आप जी ने डेरा सच्चा सौदा के उज्जवल भविष्य के बारे में भी वर्षों पहले संगत में यह वचन कि कि डेरा सच्चा सौदा दोगुना चौगुना बढे़गा। पूरी दुनिया में सच्चा सौदा का नाम होगा, बल्कि आप जी ने तीसरी रूहानी बॉडी के बारे में भी पहले ही अनेकों वचन किए कि वह तूफान मेल ताकत आएगी दुनिया में राम नाम कि रड़ मचेगी और सच्चा सौदा बहुत तरक्की करेगा।

सच्चा सौदा क्या है-

सच्चा सौदा नाम है सच्चाई का। सच्चा सौदा नाम है अल्लाह-वाहेगुरु राम की भक्ति इबादत का! जहां भक्ति करने का सही मार्ग बताया जाता है। डेरा सच्चा में किसी भी प्रकार का कोई दान-चढा़वा, कोई ढोंग, पाखंड या दिखावा नहीं किया जाता है। परम पिता परमात्मा की बिना किसी ढोंग दिखावे के भक्ति करना ही सच्चा सौदा है। पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने अपने मुर्शीदे कामिल के वचनानुसार 29 अप्रैल 1948 को इसी पावन उद्देश्य से डेरा सच्चा सौदा नाम से एक कुटिया बनाई जो कि आज उन्हीं के पावन वचनों के अनुसार बहुत बड़ा रूहानी कॉलेज है। जहां प्रेम व नाम से जुड़ने का असली पाठ पढ़ाया जाता है। हम देख सकते हैं कि डेरा सच्चा सौदा एकमात्र ऐसी संस्था है जहां सभी धर्मों के लोग एक ही जगह पर अपने धर्म के अनुसार मालिक परमेश्वर की याद में बैठते हैं। पूज्य बेपरवाह मस्ताना जी महाराज का यह डेरा सच्चा सौदा सर्व धर्म संगम है। यह सच्ची इंसानियत का प्रतीक है। इसकी स्थापना को 73 वर्ष पूरे हो चुके हैं। आज पूरी दुनिया में सच्चा सौदा का नाम गूंज रहा है।

ये वो सच्चा सौदा है…

डेरा सच्चा सौदा का यह है पवित्र धाम परम पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने सिरसा शहर से करीब 3 किलोमीटर दूर शाह सतनाम सिंह जी मार्ग पर अप्रैल 1948 में स्थापित किया। डेरा सच्चा सौदा की नींव रखते हुए परम पूज्य बेपरवाह मस्ताना जी महाराज ने अपने पवित्र मुख से वचन फरमाए ‘ये वह सच्चा सौदा है, जो आदि-जुगादि से चला आ रहा है। यह कोई नया धर्म, मजहब या कोई नई लहर नहीं है।

सर्वधर्म संगम डेरा सच्चा सौदा-

पूज्य बेपरवाह जी का यह सच्चा सौदा रूपी वो नन्हा सा पौधा आज इतना बड़ा बरगद का पेड़ बन गया है जो पूरी दुनिया को अपने आंचल में संजोए हुए हैं। डेरा सच्चा सौदा में शुरू से ही सभी धर्मों का आदर सत्कार किया जाता है। यहां इंसानियत का ऐसा पाठ पढ़ाया जाता है जिस पर चलकर आज करोड़ो लोगों की जिंदगी संवर गई है। आज करोड़ो लोग नशे जैसी तमाम बुराईयो को छोड़कर अपने जीवन को खुशी से जी रहे हैं। यहां पर दूसरो के लिए जीना सिखाया जाता है। डेरा सच्चा सौदा संस्था द्वारा 135 मानवता भलाई के कार्य चलाए जा रहे जिनमें साध संगत बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही है।

एक ऐसा जाम जो इंसानियत का बीज बो दे- जाम-ए-इन्सां गुरु का:-

डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख संत डाॅक्टर गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने 29 अप्रैल 2007 को अपने रहमों करम से लोगों को उनकी तमाम बुराइयों से पीछा छुड़वाने और उन्हें मानवीय गुणों को धारण करने और उन्हें इस बात की शपथ दिलाने के लिए ताकि लोग भलाई के मार्ग पर दृढ़ता से चले, उन्हें रूहानी जाम पिलाने का अलौकिक खेल रचा।

संवर गई लाखों जिंदगियां-

जाम-ए-इन्सां गुरु का लोगों के अंदर सोई हुई इन्सानियत को जगाता है, मानवता को बल बख्शता है। इस रुहानी जाम कों ग्रहण करने से लाखों जिंदगिया संवर गई है। इसको पीने से कई अंधों की आंखों की रोशनी आ गई, गूंगे बोलने लगे और कैंसर की व एड्स की लाइलाज बीमारियां भी जड़ से खत्म हो गई। कई वर्षों से संतान के लिए तड़पते लोगों को संतान का सुख प्राप्त हुआ, कारोबार में बरकतें आई। लोगों की हर तरह की मुश्किलें अपने आप दूर होती चली गई, जो सोचा भी नहीं होता मालिक की दया से वह खुशियां उन्हें हासिल हुई है, ऐसे लोग पूज्य गुरु जी की हजूरी में संगत ने भी बताते हैं। ऐसा जबरदस्त पूज्य गुरु जी का यह रूहानी जाम। यही कारण है कि रुहानी जाम पीने वालों का तांता हर बार लगा रहता है।

क्यों बनाया इन्सां-

पूज्य गुरु जी ने फरमाया की रूहानी जाम पीने वाले अपने उपनाम पर जोर देने की बजाय अपने नाम के पीछे ‘इन्सां’ लिखें ताकि समाज में व्याप्त जात धर्म ऊंच-नीच की भयानक बुराई को जड़ से खत्म किया जा सके। क्योंकि जब लोग ‘इन्सां’ और केवल ‘इन्सां’ होंगे तो समाज से जात-पात की बुराई को खत्म करने में मदद मिलेगी।

इन्सानियत के लिए कसम-

‘इन्सां’ बनने के लिए रूहानी जाम ग्रहण करने वाला हर इंसान कसम खाता है। प्रण लेता है कि वह इंसानियत की रक्षा हेतु कभी पीछे नहीं हटेगा। पूज्य गुरु जी 5 अंजुलियां भर कर सभी से यह कसम लेते हैं कि वह मानवता-इंसानियत को मरने नहीं देगा और इसके लिए जो 45 नियम समाज भलाई के लिए बनाए गए हैं उन पर वह दृढ़ता से चलेगा। पूज्य गुरु जी के सानिध्य में ऐसा पाक प्रण करके आज करोड़ों लोग इंसानियत के रक्षा सूत्र में बंधे हैं वह दिन प्रतिदिन बंध रहे हैं।

सर्व सांझा खुशियों का त्यौहार-

दुनिया को इंसानियत की सच्ची राह दिखाने वाला साल का यह अप्रैल माह एक साथ दो महत्वपूर्ण नजारों का दृष्ट्वा है। क्योंकि इस माह में 73 वर्ष पूर्व यानी 29 अप्रैल 1948 को डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक शाह मस्ताना जी महाराज ने डेरा सच्चा सौदा की नींव रखी थी। साईं मस्ताना जी महाराज ने सिरसा शहर से 2 किलोमीटर दूर एक सुनसान वीराने में डेरा सच्चा सौदा का निर्माण कर जंगल में मंगल बना दिया। इसी प्रकार 29 अप्रैल 1948 का दिन डेरा सच्चा सौदा के अस्तित्व का दिन है और दूसरा यह कि आज से 14 वर्ष पूर्व यानी 29 अप्रैल 2007 को पूज्य गुरु संत डॉक्टर गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने जाम-ए-इन्सां शुरू करके इंसानियत की अलख जगाई तो पूरी दुनिया में इस पवित्र नाम का डंका गूंज उठा। इसीलिए डेरा सच्चा सौदा की साध संगत इसे बडी़ धूमधाम के साथ मनाती है। यहां के अनुयायी पूज्य गुरु जी की प्रेरणा से इस अप्रैल माह को मानवता भलाई के कार्य करते हुए मनाते है।

निष्कर्ष-

आप सभी को सर्व धर्म डेरा सच्चा सौदा के 73वें रुहानी स्थापना दिवस व ‘जाम-ए-इन्सां गुरु का’ की 14वीं वर्षगांठ की अरबों-खरबों बार हार्दिक शुभकामनाएं।

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