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6 min readMay 8, 2021

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DSS Contribution in saving lives of thalassaemia patients

दोस्तों आज हम बात कर रहे हैं थैलेसीमिया की, जो एक अनुवांशिक रोग है। जिसमें इन्सान के रक्त में लाल रक्त के कण नहीं बन पाते और यह आमतौर पर बच्चों में जन्म से ही होता है। आपको बता दें यह एक वंशानुगत रोग अर्थात् हेरेडिटरी है, जो माता-पिता के जींस के माध्यम से नवजात बच्चों को मिलने वाला एक अनुवांशिक विकार है। प्रत्येक लाल रक्तकण में हीमोग्लोबिन के अणुओं की संख्या 240 से 300 मिलयिन के बीच में होती है। इसकी कमी के कारण एनीमिया हो जाता है और रोगियों को जीवित रहने के लिए 15 से 30 दिन में रक्त की आवश्यकता होती है।

विश्व थैलेसीमिया दिवस को मनाने का उदेश्य

इस दिवस को मनाने का सबसे बड़ा उद्देश्य लोगों को रक्त से संबंधित इस गंभीर बीमारी के प्रति जागरूक करना है। जो लोग थैलेसीमिया जैसी बीमारी से जीवन जीने के लिए संघर्ष करते हैं, उन लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए व इस रोग से पीड़ित सभी रोगियों व उनके माता-पिता को सम्मान देने के लिए प्रत्येक वर्ष 8 मई के दिन को विश्व थैलेसीमिया दिवस के रूप में मनाया जाता है।

थैलेसीमिया क्या है

थैलेसीमिया एक स्थाई रक्त विकार यानी (क्रॉनिक ब्लड डिसऑर्डर) है, जो एक अनुवांशिक विकार है जिसके कारण रोगी के लाल रक्त कणों में हिमोग्लोबिन नहीं बन पाता है। यह दो प्रकार का होता है।

थैलेसीमिया दो प्रकार का होता है-
1. माइनर थैलेसीमिया
2. मेज़र थैलेसीमिया

अगर हम बात करें, माइनर थैलेसीमिया से ग्रसित बच्चों की तो इन बच्चों में रक्त कभी भी सामान्य के स्तर तक नहीं पहुंच पाता है। यह हमेशा सामान्य स्तर से कम रहता है। लेकिन माइनर थैलेसीमिया वाले बच्चे स्वस्थ रुप से अपना जीवन जी लेते हैं। वहीं अगर बात करें, मेजर थैलेसीमिया से ग्रसित बच्चों की तो इन बच्चों में हर 15-21 दिन या हर महीने रक्त चढ़ाने की आवश्यकता पड़ती है।

प्रत्येक वर्ष, विश्व में लगभग 100000 बच्चे मेजर थैलेसीमिया वाले पैदा होते हैं। एक अनुमान से पता लगाया गया कि इनमें से लगभग 10,000 बच्चें भारत में पैदा होते हैं। हर साल लगभग 9,000-10,000 मामलों को इसमें जोड़ा जाता है। इन रोगियों को नियमित रूप से रक्त की आवश्यकता होती है। ऐसे रोगियों के लिए रक्त की उपलब्धता हमेशा एक बड़ी चुनौती रही है। लेकिन TRUE BLOOD PUMPS की स्थापना के साथ परिदृश्य बदल गया। जब रिश्तेदारों और दोस्तों ने स्वेच्छा से अपना मुंह मोड़ लिया, तो ये सच्चे रक्त पंप हजारों लोगों की जान बचाने के लिए आगे आए और उन लोगों के लिए आशा की किरण बने, जिन्होंने अपने जीवन जीने की हर उम्मीद खो दी थी।

थैलेसीमिया के लक्षण-
- सांस लेने मे परेशानी होना।
- थकावट महसूस होना।
- शारीरिक दुर्बलता
- हृदय व गुर्दे आदि में समस्याएं उत्पन्न होना ये सभी थैलेसीमिया रोग के लक्षण है।

विश्व थैलेसीमिया दिवस 2021 थीम-

इस बार विश्व थैलेसीमिया दिवस 2021 की थीम "वैश्विक थैलेसीमिया समुदाय में स्वास्थ्य असमानताओं को संबोधित करना" है।

थैलेसीमिया रोगियों के लिए रक्त की आवश्यकता

देश भर में एक लाख से अधिक थैलेसीमिया से ग्रसित लोगों की मृत्यु 20 वर्ष की आयु से पहले ही हो जाती है, यह सब उपचार की कमी या खून की कमी के कारण होता हैं। मानव रक्त के लिए कोई अन्य विकल्प नहीं है। इसको बनाया नहीं जा सकता ब्लकि लोगों द्वारा दान किया जाता है। थैलेसीमिया रोगियों को वर्ष में 8 से 12 बार रक्त चढा़ने की आवश्यकता होती है।

डेरा सच्चा सौदा भारत में रक्तदान करने वाली सबसे बड़ी संस्था-

हमारे भारत में विभिन्न संस्थाओ द्वारा समय-समय पर थैलेसीमिया से ग्रसित लोगों के लिए रक्तदान शिविरों का आयोजन किया जाता है। इनमें से एक विश्व प्रसिद्ध संस्था हरियाणा के सिरसा जिले में स्थित डेरा सच्चा सौदा है। जो रक्तदान के लिए 24×7 घंटे तैयार रहती हैं। डेरा सच्चा सौदा में हर महीने रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाता है। जिसमें हजारों की तादाद में लोग अपना योगदान देते हैं और स्वेच्छा से रक्तदान करते हैं।

डेरा सच्चा सौदा का उद्देश्य "खून बिन जाने ना देंगे जिंदगी"-

डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख संत डॉक्टर गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षा से इस संस्था के लाखों अनुयायी अपनी स्वेच्छा से नियमित तौर पर रक्तदान करने का प्रण ले चुके हैं। ये अनुयायी हर 3 महीने बाद नियमित तौर पर जरुरतमंद व थैलेसीमिया रोगियों के लिए रक्तदान करते हैं। इन अनुयायियों को पूज्य गुरु जी ने ट्रयू ब्लड पंप के नाम से नवाजा है।

True Blood Pump-

डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी मानवता भलाई के कार्यो में हमेशा अग्रणी रहते है। डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी पूज्य गुरु जी की पावन प्रेरणा से हर 3 महीने बाद नियमित तौर पर रक्तदान करते हैं। इसके लिए इन अनुयायीयों को पूज्य गुरु संत डॉक्टर गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने चलते फिरते रक्त पंप के नाम से नवाजा हैं। यह अनुयायी मात्र एक आह्वान से मीलों का सफर तय कर रक्दान करने के लिए पहुंच जाते है। ये अनुयायी हर समय मानवता की निःस्वार्थ भाव से सेवा करने के लिए तैयार खड़े रहते हैं।

डेरा सच्चा सौदा का थैलेसीमिया रोगियों के उपचार में अहम योगदान

पूज्य गुरु जी के पावन सानिध्य में बापू मगहर सिंह जी ब्लड बैंक की स्थापना की जो कभी भी रक्त की आवश्यक मात्रा प्रदान करने के लिए हमेशा मौजूद रहता है। जिसमें लाखों लोग अपनी इच्छा से थैलेसीमिया रोगियों व जरुरतमंद लोगों के लिए रक्त दान करते है। इसके अलावा, डेरा सच्चा सौदा में अस्पताल भी है जिसमें थैलेसीमिया रोगियों के निदान और उपचार की सुविधा है। पूज्य गुरु संत डॉ गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने थैलेसीमिया जैसी बीमारियों के उन्मूलन के लिए अनुसंधान परियोजनाओं के लिए अपनी फिल्म से की गई नेक कमाई में से 40 लाख रुपये दान किए। डेरा सच्चा सौदा द्वारा अब तक लाखों लोगों को नया जीवन मिल चुका है।

इन्सानियत के मसीहा रक्तदान कर मनाते है- अपने हर त्यौहार

डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी अपने हर त्योहार (जन्मदिन, शादि आदि) को रक्तदान करते हुए मनाते है व इन्सानियत का फर्ज अदा करते है। डेरा सच्चा सौदा द्वारा अब तक हजारों यूनिट रक्त दान कर लाखों लोगों की जिंदगिया बचा चुका है। एक यूनिट रक्त से 3 लोगों की जान बचाई जा सकती है।

रक्तदान के क्षेत्र में डेरा सच्चा सौदा द्वारा बनाये गए विश्व रिकॉर्ड

पूज्य गुरु जी के पावन मार्गदर्शन में ट्रू ब्लड पंप्स ने कई मानवीय गतिविधियों में विभिन्न विश्व कीर्तिमान स्थापित किए हैं। डेरा सच्चा सौदा के नाम पर लगभग 76 विश्व रिकॉर्ड हैं, जिसमें से डेरा सच्चा सौदा ने 2010, 2004 और 2003 में सबसे बड़े रक्तदान शिविरों के लिए 3 गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड और 2011 में 2 स्वैच्छिक रक्तदाताओं के लिए एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और रक्त 2010 में डोनेशन ड्राइव, और 2008 में मेगा ब्लड डोनेशन कैंप के लिए लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, और 2011 में एक ही स्थान पर रक्तदान करने वाले अधिकांश लोगों के लिए एक इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स शामिल है। डेरा सच्चा सौदा मानवता के क्षेत्र में आए दिन नए आयाम हासिल कर रहा है।

महामारी के दौरान रक्तदान की मांग-

कोरोना महामारी में लॉकडाउन के समय में जब लोग अपने घरों से बाहर निकलने में संकोच कर रहे है। वहीं ऐसे में सभी ब्लड बैंक में रक्त की कमी हो रही है।
तो इस कमी को पूरा करने के लिए डेरा सच्चा सौदा के लाखों अनुयायी अपनी जान की परवाह किए बिना हजारो युनिट रक्तदान कर रक्त की आवश्यकता को पूरा करने में अपना अहम योगदान दिया।

रक्तदान करने के पीछे प्रेरणा

रक्तदान करने व जरूरतमंद की मदद करने का जज्बा लाखों लोगों में भरने वाले, डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख संत डॉक्टर गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां है। जिन्होनें सभी प्रकार की भ्रांतियों को लोगों के मन से दूर किया। पूज्य गुरु जी की पावन प्रेरणा से आज डेरा सच्चा सौदा के लाखों अनुयायी नियमित तौर पर रक्तदान कर है और लाखों लोगों थैलेसीमिया लोगों की जिंदगीयां बचाने में अपना योगदान दे रहे हैं।

निष्कर्ष-

इस विश्व थैलेसीमिया दिवस पर हम सभी को नियमित रुप से रक्तदान करने का प्रण लेना चाहिए ताकि किसी भी थैलेसीमिया से ग्रसित रोगी को रक्त की कमी से अपनी जान ना गवानी पडे़।

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